खुशमिजाजी
- ना.रा.खराद
व्यक्तियों के अनेकों मिजाज होते हैं।हर व्यक्ति अनूठा होता है।समान मिजाजवाले एक दूसरे को जान पाते हैं। कारणों से कोई खुश रहें,यह सामान्य बात है, मगर अकारण कोई खुश रहें, यह असाधारण बात है।व्यक्ति
खुश रहने की वजह ढूंढता है इसलिए दुखी रहता है ,दुख की वजह जाने तो कभी दुखी न हो।
खुशमिजाजी एक तरह का दृष्टिकोण है।पारस पत्थर की भांति दुख को सुख में तब्दील करने का मादमा उसमें होता है। खुशमिजाज व्यक्ति सबको प्रिय होते हैं मगर
कुछ ईर्ष्यालु उसे मूर्खता नाम देकर अपनी ईर्ष्या प्रकट करते हैं।
खुशमिजाज व्यक्ति संतोषी स्वभाव के होते हैं,
जो है,उसका लूत्फ उठाते हैं।चेहरा खिला हुआ और बाणी में ओज होता हैं।अपनी कमियों को भी वह बखुबी जानता है मगर उससे आहत नहीं होता।ऐसा व्यक्ति हरसमय आनंदित होता है।उसकी दृष्टि केवल आनंद
को देखती है। शिकायतों से दूर रहता है।हर
व्यक्ति को उसके वास्तविक रुप में जान लेता
है,स्विकार करता है। खुशमिजाजी रोगों को
भगाती है। लोगों को करीब लाती है।
खुशमिजाजी एक नज़रिया है। खुशमिजाजी की दूरबीन से दूर का सुख करीब दिखता है।
खुशमिजाजी के पहाड़ पर से चारों तरफ की
खुशियां नजर आती है। खुशमिजाजी एक खुला आसमां है ।केवल कंवल देखकर नहीं, कीचड़ देखकर भी वह खुश रहता है। नकारात्मक भाव उसके पास
नहीं है।निराशा और दुख का कारण अस्विकार है। खुशमिजाज व्यक्ति की दृष्टि विशाल होती है।दिल बड़ा होता है।