गधाराज

                      गधाराज


एक दिन किसी गधे के मन में यह विचार आया कि,“ हम गधों पर यह अन्याय है कि राजकाज में हमें भागिदारी नहीं मिलती।"
      चूंकि गधों में भी कुछ खास गधे थे,जो शायद पढ़ें लिखें थे इसलिए अपनी बात प्रभावशाली ढंग से रख सकते थे। उन्हीं गधों ने मोर्चा संभाला और एक महासम्मेलन का आयोजन किया गया। गधों की जमात के अलावा किसी अन्य जमात के पशुओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
गधों में हजारों किस्मों के गधे थे, ताकतवर गधों ने अपना रोब जमाना शुरू किया। बेचारे गरीब गधे चूं तक नहीं कर सके,चूपचाप उनकी बात मान ली।
गधों के महासम्मेलन की खबर बड़ी तेजी से
फैल गई।हाथी, शेरों में हड़कंप मच गया।“गधों की इतनी औकात कि हमारे होते हुए .....!" चूंकि लोकतंत्र था इसलिए उन्होंने अपना गुस्सा शांत किया और कुछ कुटनीतिज्ञ इस काम में लग गए कि गधों का महासम्मेलन कैसे तहस-नहस किया जाए।
इधर सम्मेलन को लेकर गधों में खासा जोश-खरोश था। संगठन से तरक्की होती हैं, ऐसा किसी शिक्षित गधे ने कहा था और उसकी इस बात पर उन्हें भरोसा हो रहा था।
    चूंकि गधों की तादाद अन्य पशुओं से अधिक थी, मगर एकता के अभाव में राजकाज में उन्हें मौका नहीं मिल रहा था। छोटे मोटे पशु शेर की ताकत का लोहा मान चुके थे और उनका विरोध कर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते थे मगर गधों के संगठन को छिपा समर्थन देने पर विचार कर रहे थे।
गधों के इस महासम्मेलन की तैयारी अपने शबाब पर थी।काम का बंटवारा हुआ,फंड जुटाया गया। 
महासम्मेलन का अध्यक्ष उस गधे को चूना गया, जिसने अपनी अब तक की आयु में अपने गधेपन की मिसाल छोड़ी थी।उसकी काया विशाल थी, क्योंकि कोई श्रम कीए बिना भरपेट भोजन उसे मिलता था। उसे 'गधों का राजा' भी कहा जाने लगा था।
     महासम्मेलन में जोरदार नारेबाजी होने लगी।“ अब गधों का राज होगा, उनके सर पे ताज होगा।" " हाथी घोड़ों,राज छोड़ो।"
" शेर से गधा टकरायेगा,अपना राज लाएगा।" इन नारों से सभागार गुंज उठा।
उक्त गधे के नाम का प्रस्ताव पारित किया गया।गायक गधों ने सुर मिलाया, कुछ शीघ्रकवि गधों ने स्वागत गीत रचा।
  अब गधों के अच्छे दिन आएंगे,इस खुशी में
वे झूम रहे थे। नृत्य का आयोजन किया गया था। मादाएं अपने जौहर दिखाने लगी।अब कुडेदान से नहीं बल्कि अच्छा भोजन मिलेगा। हमारी आवाज को कोई अब दबा नहीं सकता,अब हम खुलकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे।
महासम्मेलन में महाभोज का आयोजन किया गया था। कूडा कचरा जमा किया गया था, क्योंकि गधों का पसंदीदा भोजन शाकाहारी था। हिंस्त्र पशुओं का निषेध प्रस्ताव पारित किया गया। इन्सान भले पशुओं को काटकर खाएं मगर पशुओं ने
इन्सान को नहीं खाना चाहिए,यह प्रस्ताव
एकमत से पारित हुआ।
महासम्मेलन का समापन हुआ ,सभी गधे अपने अपने इलाके में लौटने लगे,उसी समय शेर ने दहाड़ लगाई ,सभी गधों में कोहराम मच गया‌। जैसे तैसे जानबचाकर भागने लगे।पलभर में सन्नाटा छा गया।
अधिकार योग्यता से आता है, सिर्फ एकता से नहीं।
                                        - ना.रा.खराद

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