परेशानियां

                    परेशानियां

जिंदगी की आपाधापी देखकर,जीने की जद्दोजहद देखकर ऐसा लगता है कि जिंदगी परेशानियों का दूसरा नाम है। यहां हर कोई परेशान हैं, कोई खुद से परेशान हैं तो कोई औरों से, कोई औरों को परेशान करता है तो और औरतों को। परेशानियां थमती नहीं, बल्कि विभिन्न रास्तों से आती हैं,बिन बुलाए हमें खोजती है।
इन्सान परेशानियों निजात चाहता है,मगर परेशानियों के भूत अक्सर इर्दगिर्द मंडराते हैं।एक परेशानी सुलझती नजर आती है, तो दूसरी सामने खड़ी होती है।
परेशानियों सिर्फ दिन में नहीं,रात में भी पीछा नहीं छोड़ती।केवल इन्सान नहीं, कीड़े भी परेशान करते हैं। परेशानियों से बचकर सुरक्षित रास्तों से निकले तो वहां भी वे डेरा जमाएं बैठी रहती हैं।
अच्छी नींद तक ले नहीं पाते। मच्छर सताना शुरू कर देते हैं, उन्हें मारने में दिन निकलता है, थोड़ी झपकी लग जाएं तो पत्नी खर्राटे लेना शुरू कर देती है। उसे जगाओ झगड़ा शुरू कर देती है।
अब उम्र ढलान पर है तो सफेद बाल परेशान कर रहें है, दांतों में दर्द बढ़ गया है, घुटने भी जवाब देने लगे हैं। कोई बूढ़ा कहकर कन्नी काट रहा है ,तो कोई दया दिखाकर दुखा रहा है।
परेशानियों चारों तरफ है, उनसे बचने का कोई रास्ता नहीं, उनसे जुझना ही जैसे जिंदगी है।घर में पत्नी की मांगों से परेशान हैं तो दफ्तर में कामों से। कहीं पर तसल्ली ने है। भागदौड़, आपाधापी,धकपेल जिंदगी के अभिन्न अंग बन गए हैं,सुकुन कहीं नहीं है।
सुबह की शुरुआत परेशानियों से शुरू होती हैं, अखबार समय पर नहीं आता, दूधवाला पानी में थोड़ा दूध लाता है। नलों में पानी नहीं आता, बिजली गुल हो जाती है। रविवार है, सोचकर आराम करना चाहो,तो
कोई मेहमान आ धमकते हैं।उनकी खिदमत में दिन निकल जाता है। बैंक में जाओ तो भीड़ है, दफ्तर देर जाओ तो मेमो है।पैसा किसी से उधार मांगों तो मिलता नहीं, अपने पास हो तो लोग मांगकर परेशान करते हैं।
बच्चोंवाले बच्चों से परेशान हैं, तो निसंतान
औलाद के लिए।
जैसे ऊपरवाले परेशान करते हैं, वैसे नीचे वाले भी परेशान करते हैं। यहां हरकोई हर किसी को परेशान कर रहा है।आम लोग खास लोगों से,तो खास लोग आम लोगों से परेशान हैं। कोई बढ़ती तोंद से तो कोई अपने दूबलेपन से परेशान हैं। शादीशुदा शादी से तो कुंवारे अपने कुंवारेपन से परेशान हैं।
अमीर अधिक धन से परेशान हैं,तो गरीब उसके अभाव से। असंतुलन परेशानियों की मुख्य वजह है। बहुत से वैद्य मरीज नहीं इसलिए परेशान हैं,तो बहुत से मरीज वैद्य के अधिक बिल से परेशान हैं।
कोई जुकाम से तो कोई सिरदर्द से परेशान हैं। कोई अपनी लंबाई तो कोई बौनेपन से परेशान हैं।
ढांढस, दिलासा, हमदर्दी से परेशानियों से
राहत मिलती है, मगर सदा के लिए परेशानी कभी खत्म नहीं होती। परेशानियों से कुछ देर का छुटकारा ही जिंदगी है, परेशानियां न हो तो इन्सान करेगा क्या? इसलिए परेशानियों को अवसर मानकर उन्हें मात देना जिंदगी है।
  
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