धरती स्वर्ग है. - ना.रा.खराद
धार्मिक ग्रंथों में स्वर्ग,नरक की जो बातें की जाती हैं, उसे प्रवचन कारों, कथाकारों ने बहुत भुनाया है। धार्मिक अंधविश्वासी आंखें मूंदकर इसपर विश्वास करते हैं।इन काल्पनिक तथा दकियानूसी बातों पर विश्वास से वास्तविकता की हानि होती है, सच्चाई हाथ नहीं लगती।
मेरे मतानुसार यह संसार ही स्वर्ग है। हां, मनुष्य ने इसे जरूर नर्क बनाया है। प्रकृति की हर चीज़ उपयुक्त है,हर समय मुहूर्त है,हर दिशा शुभ है, मगर इसे नर्क बनानेवालों ने इस धारणा में छेद लगाया है।
ईश्वर का हवाला देकर लोगों को गुमराह कर दिया है।स्वर्ग कहीं और है,इस विचार को फैलाकर इस सच्चे स्वर्ग को अपमानित किया है।
काल्पनिक स्वर्ग में ऐसा क्या है,जो इस संसार में नहीं है? मनुष्य अगर इसे नर्क बना रहा है,तो इसमें ईश्वर का क्या कसूर? किसी दूसरे जगह स्वर्ग नहीं है,यह संसार ही हमारे लिए नया हैं,हम कहीं से आएं हुए हैं।
यदि किसी की मृत्यु हो जाती है,तो उसे स्वर्ग वासी कहा जाता हैं, जबकि किसी को इस बात का पता नहीं। जहां जीवित था , उसे स्वर्ग कहना चाहिए,इस लोक को मृत्युलोक कहना भी बेईमानी है, जहां तुम जी रहे हो, सांसें ले रहे हो,वह मृत्युलोक?यह कैसी विडम्बना है,मरा तो स्वर्गवासी और जिंदा हो तो मृत्युलोक में!
इस संसार में किस बात की कमी है,अगर आपको आनंदित रहना नहीं आता तो आप
तथाकथित स्वर्ग में भी आनंद नहीं मिलेगा।असल में आनंद में रहना ही स्वर्ग है,दुख में नर्क! जहां तुम सुखी रह सको वहीं स्वर्ग है।
मृत अगर स्वर्ग गया है,तो गला फाड़कर क्यों रोते हो, क्या उसका स्वर्ग जाना आपको अखर रहा है,या आप जाना चाहते हैं। अगर आप मरना नहीं चाहते,तो स्वर्ग कैसे जाओगे। जरुर कुछ गड़बड़ी है, धांधली है,या झांसा है।अब इसपर हर मृत स्वर्गीय कहलाता हैं, क्या यह सच है।सब मनगढ़ंत बातें हैं।जो उपलब्ध हैं, उसे गालियां देकर कहीं और का लालच देकर मनुष्य का शोषण किया जाता है। झूठी बातें फैलाकर सच की राहों में रोडा डाला जाता है।अब आंखें खोलने की जरूरत है, ताकि असली स्वर्ग का पता चल सके।