माध्यम
- ना.रा.खराद
हम मां बाप के माध्यम से जन्म पाते हैं और आगे भी किसी न किसी माध्यम से हमें कुछ मिलता रहता है,या हम किसी को कुछ देते रहते हैं।हमारा शरीर,शरीर का हर हिस्सा एक माध्यम,
साधन बना हुआ है।हम जब हाथ से गिलास उठाते है,तब गिलास एक माध्यम है और हाथ भी , पानी भी । यहां की हर चीज माध्यम है।जिस जमीन पर हम चलते हैं,पैर चलने का माध्यम है और जमीन भी!
आप जरा गहराई से सोचें तो पता चलें कि किसी व्यक्ति के माध्यम से आप कुछ पाते हैं, तो उसी का दिया कहते हो, मगर उसके पास किसी और माध्यम से आया है,जो उसके माध्यम से आपको मिला है।वृक्ष के माध्यम से फल मिलता है, यानी वृक्ष फल नहीं है,वह तो केवल फल देने का माध्यम है।गाय दूध देतीं है,जब वह चारा खाती है।चारा भी माध्यम से,गाय भी और दूध भी !
जब हम आंख से देखते हैं,तो आंख नहीं देख रहीं हैं,वह तो सिर्फ माध्यम है। सीढ़ी से जब हम ऊपर चढ़ते हैं ,तो सीढ़ी एक माध्यम का काम करतीं हैं, सीढ़ी साधन है,साध्य नहीं है। दुनियाभर के सभी साधन एक माध्यम का काम करते हैं। आंखों से निकलें आंसू, आंखों के नहीं है,वे केवल आंख से निकलें है। ज़ुबान से निकलें शब्द उस ज़ुबान के नहीं मानें जातें हैं, जिसने बोलें है, उसके माने जाते हैं।
कोई किसी को कुछ देता नहीं है।बस, उसके माध्यम से कोई पाता है।जिस तरह से चुनाव के माध्यम से नुमाइंदे चुनें जातें हैं, परीक्षा के माध्यम से नौकरीयां मिलतीं है।साधन कभी साध्य नहीं होता है।साधन केवल रास्ता है, मंजिल नहीं है।
यहां जो भी घटित होता है, माध्यम से होता है।बेवजह शब्द ग़लत है, क्योंकि बेवजह कुछ नहीं होता है। कोई पुल गिर जाता है,तो दबकर लोग मर जाते हैं, बिना किसी कसूर के।पुल एक माध्यम था, रास्ता पार करने का, वहीं पुल जानलेवा साबित हुआ।वह तो माध्यम है।
जब कोई हथियार चलाता है। कोई व्यक्ति तलवार से वार करता है,तों उसमें तलवार का क्या कसूर? फिर हाथों का है? हाथ में तो गुलदस्ता भी पकड़ते हैं हाथ तो माध्यम से, तलवार भी। तमाम चीजों का संचालन जो करता है, वहीं उसका असली कर्ता है।
जमीन खुदवाकर उससे पानी निकाला जाता है। पानी प्यास बुझाने का माध्यम है। कुआं तो केवल पानी बाहर निकालने का माध्यम है। पानी कुएं का नहीं है।बस, उसके माध्यम से पानी निकला है। रस्सी डालकर बाल्टी से पानी निकाला जाता है। रस्सी और बाल्टी, पानी और मनुष्य सभी माध्यम है।माध्यम एक जीवन का धागा है सभी चीजें जुड़ी हुई है। उन्हें एक सुत्र में बंधे हुए देखोगे तो पता चलेगा।
जब हम गाड़ी के माध्यम से सफर करते हैं, तब
रास्ता भी माध्यम है। किसी एक माध्यम से नहीं, अनेकों माध्यम से हम जी पाते हैं,यह ज़ीने की व्यवस्था है, और हमें इस व्यवस्था को समझना चाहिए।जब हम किसी को कुछ देते हैं,तो एक माध्यम बन जातें हैं, और हमें जो कुछ मिलता है,तो माध्यम से मिलता है।जब कोई दवा हम लेते हैं, तो वह इलाज का माध्यम है। जैसे बिमारी किसी माध्यम से हुई है, किसी माध्यम से खत्म हो गई है।
माध्यम जिंदगी का बहुत बड़ा सच है। संपूर्ण जीवन किसी माध्यम से चलता है। जिसने इस सच्चाई को जान लिया और मान लिया है,उसका अंहकार शून्य हो गया है।खुद को सदा माध्यम मानें, कर्ता नहीं।