"जल्दबाजी: ब्लॉग साथीच्या टाकलेल्या थेट आवाज"
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अगस्त 25, 2023
मेरे एक करीबी मित्र बहुत ही जल्दबाज है। कहते है,वे जन्मजात जल्दबाज है। डाक्टर ने उनके जन्म की जो तारीख बताई थी,यह महाशय एक माह पहले ही दुनिया में दाखिल हुए। बचपन में मां बाप के जागने से पहले तड़के जाग जाते थे और फिर उन्हें सोने नहीं देते थे।
स्कूल में सभी छात्र तथा शिक्षकों से पहले पहुंच जाते थे।
हर जगह समय से पहले पहुंचना उनकी फीतरत में था।हर रोज सूरज को उगता देखनेवाला और सूरज ने भी इस इकलौते को ही देखा होगा।
किसी जगह पहुंचना हो तो समय बढ़ाकर बोलना पड़ता है,तब वे समय पर आते हैं। उतावलापन, धांधली, गड़बड़ी, अधीरता और बेताबी उनमें ठूंस ठूंसकर भरी हुई है। उन्हें जाननेवाले उनके इस स्वभाव से वाकिफ है और सतर्क भी , क्योंकि कई दफा नौबत खड़ी हुई है।
कहीं जाने की जल्दी में पतलून पहने और कमीज़ नहीं,जूता एक पैर में पहने , दूसरे में नहीं। ऐसे वाकया आए दिन चलते रहते।
बस स्थानक पर बस पहुंची,अभी खड़ी भी नहीं हुई ,लगे
पायदान पर पैर रखने । उनकी शादी में तो बड़ा हंगामा खड़ा हुआ,जब इस महाशय ने पुरोहित के मंत्र भी पूरे नहीं होने दिए,डाल दी माला वधू के गले में!
वे अगर चाय की प्याली लेकर आए तो समझो,आफत।
लेने के लिए हाथ बढ़ाने से पहले प्याली छोड़ देते।प्याली, टुकड़े टुकड़े और चाय फर्श पर फैली।
मोटरसाइकिल में चाबी लगाने से पहले किक मारना शुरू
करते है।सिर पर एक नहीं होने पर भी,कंघी वे रखतें है और उसका पुरजोर इस्तेमाल भी करते है।
सबसे जल्दबाज का खिताब उन्हीं को मिल सकता है।
सिनेमाघर में सबसे पहले जाकर बैठ जाते। भोजन की पंक्ति उन्हीं से शुरू हो जाती। सार्वजनिक नल पर पहले
स्थान पर वही रहते।बस में जगह सबसे पहले वही पाते।
बिजली के बटन कभी सही नहीं दबाते। जल्दबाजी में दूसरा ही बटन दबा देते हैं।जो बंद रखना है, उसे चालू कर देते।
उन्हें खाली बोतल पकडाओ तो मुंह को लगाते। परीक्षा में
तीन घंटे का पेपर डेढ़ में समाप्त। लिखने की गति ऐसी की हवाई जहाज को भी पछाड़ दे।
कोई कार्य वे शांति से नहीं कर पाते। रुकना, ठहरना, सोचना जैसे वे बिल्कुल जानते नहीं।गर्म दूध का गिलास
होंठों से लगाया था, तो उनके होंठ जल गए थे। किसी को
बताना नहीं पड़ा कि जल्दबाजी का नतीजा!
सोते भी चैन से नहीं, जागकर देखते हैं कि मैं सोया हुआ हूं या नहीं!
नहाते हैं तो आधा जिस्म नहाया हुआ। खुद मूंछें कटवाते
तो आधी मूंछ तनहा। उनके जल्दबाजी के किस्से मशहूर
है , उसपर एक स्वतंत्र ग्रंथ रचा जा सकता है ताकि आनेवाली पीढ़ियों को जल्दबाजी का पाठ मिले।🙏
-ना.रा.खराद
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