बेबसी

                   बेबसी
                           -  ना.रा.खराद
  इन्सान अपनी जिंदगी में अनेकों बार बेबस, लाचार या मजबूर हो जाता है,उसकी इस मजबूरी में हर कोई उसका फायदा उठाता है,उसका शोषण करता है या उसको छलता है।यह कैसी विडंबना है कि पहले से त्रासदी झेल रहे व्यक्ति के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाएं।
 जहां कहीं कोई मजबूर हैं, वहां शोषण करनेवाले मौजूद रहते हैं। किसी मजबूरी में अपना फायदा ढूंढनेवाले चोर, उच्चके , लफंगे और खुदगर्ज मौजूद रहते हैं। सहानुभूति की आड़ में कुछ अलग मंसुबे रखनेवाले भी होते हैं।
सड़क पर कोई लारी पलट गई तो और उसमें जो भी सामान हो , उठाकर भागनेवाले लोग किस प्रवृत्ति के है,यह कहने की जरुरत नहीं है।
पढ़ें लिखे लोग किसी अनपढ़ से अंगूठा लगवाकर उसे धोखा देते हैं। किसी अंध या अपाहिज व्यक्ति का शोषण करते हैं। इन्सान में राक्षसों की प्रवृत्ति विद्यमान है,असली राक्षस इन्सान है, काल्पनिक राक्षस कभी शोषण नहीं करता है।
 पुलिस से डरनेवाले लोगों से पुलिस किस तरह से उनको और डराते हैं,यह मैंने अपनी आंखों से हजार बार देखा है। गरीबों से हजारों तरह के मनमाफिक काम करवाए जाते हैं,वे इसी मानसिकता की उपज है।
 किसी लाचार महिला से दुर्व्यवहार भी कमजोरी का लाभ उठाना है, क्योंकि कोई भी शोषण कमजोरों का किया जाता है,और अगर कोई लाचार नहीं है,तो उसके लाचार होने का इंतजार किया जाता है, अथवा उसे लाचार बनाया जाता है।
 छोटे छोटे बच्चे भी इसके शिकार होते हैं,उनकी मासूमियत का फायदा उठाया जाता है। किसी वृद्ध की मजबूरी का फायदा उठाया जाता है। किसी अस्पताल में मरीज की मजबूरी का फायदा उठाकर, उससे अधिक बिल ऐंठा जाता है।
 किसी मुसीबत में फंसे इन्सान की सहायता करने के बजाय उसकी उस मजबूरी का लाभ उठानेवाले लोग इन्सान कहलाने के लायक है ?
 मुसीबत में फंसे लोग जब मदद की गुहार लगाते हैं,तो वहां मददगार नहीं, भेड़िए जमा हो जातें हैं और
नोंच-नोंच कर खाते हैं। इन्सान की हजारों तरह की कमजोरियां रहतीं हैं, बड़े से सुरमा भी कभी लाचार हो जातें हैं,लाचारी की इस अवस्था में सभी दुश्मन सक्रिय हो जाते हैं, गिद्ध की तरह मंडरातें हैं और मौका पाकर उसका खात्मा कर देते हैं।
सभी तरह का शोषण अन्य की लाचारी पर निर्भर है।
अगर कोई लाचार नहीं है,तो उसे लाचार बनाकर उसका शोषण किया जाता है। अपनी लाचारी,बेबसी कभी किसी को नहीं बतानी चाहिए, क्योंकि जख्मों पर मरहम लगानेवाले कम ,उसको कुरेदनेवाले बहुत होते हैं।
 
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