- ना.रा.खराद
मानवजाति का इतिहास विवादों का इतिहास हैं, दो बच्चों की हाथापाई से लेकर, विश्वयुद्ध तक उसका फैलाव है। विवाद सिर्फ मूर्खों में नहीं होते, अपितु विद्वानों में भी तु- तु मैं -मैं देखी गई हैं। विवादों की जड़ें
इन्सान की प्रवृत्ति में है, कुछ इन्सान विवादों की शुरुआत भले न करें, मगर वे उसका समापन जरुर करते हैं।कुछ लोग विवादी नहीं होते,मगर दूसरों को उकसानेवाले होते हैं ,पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे बहुत से विवादी होते हैं कि खुद झगड़ालू होकर भी अन्य लोगों के विवाद सुलझाने काम करते हैं।
इस धरा पर ऐसी कोई जगह नहीं, जहां विवाद नहीं, सार्वजनिक शौचालय से लेकर, लोकसभा तक उसका दायरा हैं। उसके लिए कोई जगह अछूती नहीं है, जहां तहां उसने पैर जमाएं है,उसकी पैठ है।
स्कूल कालेजों में आएं दिन झगड़ा चलता है,हर नुक्कड़ चौराहे या सब्ज़ी मंडी में विवाद चल रहा है। यहां पुलिसथानों में रोजाना दर्जनों लोग मारपीट की शिकायते लेकर आते हैं, यहां तक जो मारपीट के जुर्म में जेल में हैं,वे वहां भी मारपीट कर रहे हैं।वे मारपीट कर रहे हैं, इसलिए पुलिस उन्हें पीट रही है।
मां बाप बच्चों को पीट रहे हैं, स्कूल में शिक्षक छात्रों को पीट रहे हैं। सड़क पर गुंडे शरीफों को पीट रहे हैं।घर में शौहर बीवी को पीट रहा है,तो कहीं बीवी शौहर को!
राशन की दुकान पर विवाद,बस में चढ़ते समय विवाद, नलों पर पानी भरते समय विवाद।
अनबन, मतभेद, स्वार्थ, दबंगई, अंहकार विवादों के कारण होते हैं, मगर सत्य, न्याय,हक के लिए भी विवाद होते हैं।
इस धरती से विवाद ईश्वरों में थे, इससे छुटकारा तो नहीं है,बस जरुरी है,कौन किसलिए विवाद कर रहा है और हमें किसका पक्ष लेना है?
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