पाखंड
- ना रा खराद
चलाते हैं।सभी रिवाज, प्रथाएं, परंपराएं, रस्में इन्हीं की बनाई हुई हैं और संस्कृति के नाम पर धड़ल्ले से चलाई जा रहीं हैं।समूचा देश उनकी चपेट में हैं,देश छटपटा रहा है,मगर उनपर जूं तक नहीं रेंगती। चूंकि इस
देश में लोकतंत्र है,इसका प्रचार भी वे बखुबी करते हैं, संविधान सिर आंखों पर, मगर आचरण मनमुताबिक!
पाखंड अब सड़क से संसद तक पहुंच गया है,धर्म के नाम पर धर्मांधता पनप रहीं हैं। जटाधारी, त्रिशुल या कुछ और धारी सदन में डेरा जमाएं बैठे हैं।अपनी जमात का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
पाखंड इस देश की मिट्टी में है,इस देश में राख बदन पर पोतते है, भभूत लगाते हैं। तांत्रिकों की देश में कमी नहीं, असल में इस देश में लोकतंत्र नहीं है, बल्कि तंत्रलोक हैं।
इस देश में सदियों से पाखंड हावी है। अंधविश्वासी राज करते हैं, पौराणिक कथाएं
सुनाकर वर्तमान भारत को गुमराह करते हैं।
मंदिरों मस्जिदों सभी धार्मिक अड्डों पर पाखंडियों का जमावड़ा है।उनकी दुकानें फलफूल रही है, कारोबार चरम पर है।
भगवान के नाम पर तमाशा खड़ा किया गया है,असली धर्म लुप्त होने के कगार पर हैं।उनका कोई राज खोले तो वे आंखें दिखाते हैं। आखिर उनका पेट जो उसपर
भरता है,आधा देश बिना कोई श्रम कीए मलाई खा रहा है।
अनपढ़, भोलीभाली, श्रद्धालु जनता को वे
अपना शिकार बनाते हैं।व्रत वगैरह कराकर
पैसें ऐंठते है और अपना चूल्हा जलाते हैं।
आस्तिक होना और पाखंडी होना इसमें अंतर है। सच्चा आस्तिक कोई अवडंबर नहीं करता, दिखावा नहीं करता। उसे किसी से कुछ लेना नहीं होता, इसलिए वह किसीको धोखा नहीं देता।
तमाम कर्मकांड एक पाखंड है, ढकोसला है। पाखंडियों की और उनके कायलों की तादाद इतनी अधिक है कि लोकतंत्र में उनकी विजय निश्चित है।
पाखंडियों का विरोध या उनका पर्दाफाश उन्हें अखरता है,वे बौखला जाते हैं, कोई तर्क नहीं करना चाहते।बस,अपना सिक्का चलाना चाहते हैं।ये बड़े खौफनाक होते हैं। लाखों करोड़ों में उनके भक्त होते हैं,इतने लोगों को उल्लू बनानेवाला शातिराना दिमाग इनके पास होता है।पाखंडी और उनके भक्त इनकी मिलीभगत से पाखंड पनपता है, फिर किसी और को कैसा एतराज?
पाखंड इस देश की जड़ में, उसे उखाड़ फेंकना किसी के बस में नहीं पाखंड पर प्रहार से पाखंडी तिलमिला जातें हैं,वे पाखंड कभी छोड़ नहीं सकते। अंधविश्वासी
अगर जाग जाएं तो उनकी दुकानें बंद हो सकती हैं ईश्वर या अल्लाह के नाम पर धमकाने वाले ,डर दिखाने वाले इन दलालों को , उनके पाखंड को बेनकाब करना होगा,ताकि यह देश खुली सांस ले सकें।देश
भौगोलिक तो आजाद हुआ है,अब पाखंड से भी मुक्ति मिलनी चाहिए, ताकि सच्चा मानव धर्म फलफूल सकें।