- ना.रा.खराद
महाभारत का हर पात्र अभी जिंदा हैं, उन्हें जिंदा रखा है, उनके उत्तराधिकारीयों ने,जो हर कहीं मौजूद हैं। करोड़ों में लाखों हैं,तो चार में भी दो एक!
पृथ्वी पर तमाम विवाद उन्हीं की बदौलत हैं,सुलझते झमेले फिर उलझाने की कला शकुनी की राह चल रहें उनके मुरीद बखुबी निभा रहे हैं, लेकिन शकुनी का रंग रुप अब बदल चुका है, वह भेष बदलकर हरकहीं विद्यमान है।उसकी पहचान उसके कृत्यों से होती है।
घर संसार से लेकर संसद तक , संसद से संयुक्त राष्ट्र संघ तक शकुनी की पहुंच है। राजनीति में तो शकुनी की पैठ है, बड़े से बड़ा ओहदा उसी को दिया जाता है,ताकि
अपने पैंतरों को वह अंजाम दे सके।कितनी
सरकारें बनीं और बिगड़ी है, इसके पीछे शकुनी का दिमाग होता है,यह कोई नहीं जानता।
सरकारी ओहदों पर भी कुछ शकुनी बैठे हुए हैं,वे अपनी चालों से अन्य कर्मीयों को छलते हैं, मालिक की नजरों में गिरा देते हैं।
अपने शातिर दिमाग से बना खेल बिगाड़ देते हैं,और सफलता पर जश्न मनाते हैं।
सत्य की हार से बेहद खुश होते हैं, अपने मनसूबे हरहाल में सफल बनाते हैं।
शकुनी बड़े अपशकुनी होते हैं, जहां भी जाते हैं,खेल बिगाड़ देते हैं। कमजोर दिमागवाले उनके शिकार होते हैं, भोलेभाले लोगों की वे बली चढ़ाते हैं।परपीडा का उन्हें परमसुख मिलता है। छोटे मोटे चुनाव में ये शकुनी कारगर होते हैं, उनके इस दुर्गुण के चलते उनकी पूछ होती है।
शकुनी का सबसे मेल होता है, क्योंकि उसके बिना उनकी चालें कामयाब नहीं होती,आदमी की नसें पकड़कर ही उसपर काबू किया जा सकता है, इससे वे वाकिफ होते हैं।
अब शकुनी हरभेष में उपलब्ध हैं,वह कहीं भी किसी भी लिबास में हो सकता है,उसकी करतूत ही उसकी असली पहचान है। भड़काने, बहकाने, उकसाने की कला में
उसे महारत हासिल होता है। सुलह जहां, शकुनी वहां अड़ंगा डालते हैं। राजनीति में तो शकुनी एक जमात सक्रिय हैं, अपने मनसूबे सफल बनाने में जुटे ये लोग पांसा बदलते रहते हैं।
पृथ्वी के सारे युद्ध, संघर्ष, अराजक इन्हीं की बुद्धि से है, अपनी पहचान वे छिपाते हैं,सच को झूठ और झूठ को सच साबित कर सकते हैं।
जबतक शकुनी जिंदा रहेगा, महाभारत मचता रहेगा। अगर हम उसके झांसे में न आए तो वह खुदबखुद मर जायेगा और बाकी सब जी सकेंगे।