अपना अपना नजरिया

              अपना अपना नजरिया
   जैसे हि देश में कोरोना आया।सबकी चिंता बढी़।सरकार हरकत में आयी।इस लाइलाज. बिमारी की दवा खोजनेवाले को इनाम की घोषणा हुई।हर तबके के लोग इस काम में जूट गए। सबसे पहले नेताओं ने इलाज खोज निकाला।हर दल कहने लगा,हमारी सरकार बनाओ तो ये भागेगी।सत्तावालों नेकहा,इसके पिछे विपक्ष का हाथ है।कुछ निर्दलीय पार्टीयां देश में निर्दलीय सरकार होती तो कोरोना का रोना नहीं होता।
देश के कवियों ने कविसम्मेलन के आयोजन की बात कही।जैसे काव्यप्रेरणा से देश से अंग्रेज भगाए गये वैसे कोरोना भी भागेगा।किसी कोरोनाग्रस्त कवि के हाथों उसे मास्क पहनाकर सम्मेलन का उद्घाटन होगा।कवि केवल कोरोना से संबंधित रचना प्रस्तुत करेंगे। अपने काव्यबाण से कोरोना का वध करेंगे और अपने अपने घर सकुशल पहुंचेगे। कविता से ही कोरोना भागेगा ऐसा प्रस्ताव पारित किया जाएगा।एकमत से वह सम्मत होगा।
देश के श्रद्धालुओं ने हर मंदिर , मस्जिद और हर प्रार्थना स्थलों से दिन रात जाप तथा भजन की बात कही,कहा की यह देश चूंकि धार्मिक देश है , यहां किसी भी बिमारी
का इलाज भक्ति से होता है, तपस्या से होता है इसलिए
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को मंदिर में बिठाकर उनसे
भक्ति गीत गंवाए जाएं ताकि उन्हें दी जानेवाली तनख़ाह
भी सार्थक होगी।
कोरोना को भगाने में कुछ महिला संगठन भी आगे आएं
चूंकि देश की नारी अब जाग चुकी हैं, पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहती हैं।कोरोना को लेकर
महिलाओं में कुछ मतभेद भी हुए चूंकि ये आम बात है इसलिए उसे अनदेखा किया गया। महिलाओं की एकता
के बगैर कोरोना भागेगा नहीं।नारी शक्ति,नारी एकता से
यह संभव होगा मगर देश की नारीयों में आपस में ठनी।
शिक्षित नारी, अशिक्षित नारी,गांव की नारी ,शहर की नारी ,गरीब नारी,अमीर नारी इस बहाने नारीयों के आपसी भेद खुलकर सामने आएं।नारी एकता तो तभी
होती है ,जब वह पुरषों के खिलाफ हो इसलिए किसी
तार्किक नारी ने ,' यह कोरोना पुरुषों की ईजाद हैं।' ऐसा
तर्क दिया तो देश की नारीयों में चेतना की लहर दौड़ गई।
हर नारी कमर कसी। पुरुषों के खिलाफ नारेबाजी होने लगी।'पुरुष भगाव,कोरोना भागेगा।'के नारे गली-कूचों में
गुंजने लगे। सार्वजनिक मास्क होली का आयोजन किया
गया,मास्क की वजह से स्री सौंदर्य में बांधा पड़ती हैं ,यह
जताया गया। इससे श्रृंगार घरों की आय और आयु दोनों
कम हुएं हैं।
देश के चमत्कारी बाबाओं ने भी कोरोना को भगाने का
ऐलान किया ,इस देश के हजारों चमत्कारों से अवगत कराया। प्राचीन काल से ही चमत्कार से यह देश ओतप्रोत
हैं।अपनी गहन तपस्या से हासिल इस शक्ति का उपयोग
का समय आया है। गुफाओं में बैठे, हिमालय में पहाड़ों पर डेरा डाले सभी चमत्कारीयों को खंगाला गया।मान
लिया गया की कोरोना एक राक्षस है,जिसका उल्लेख
वेदों में है उसका वध केवल तांत्रिकों द्वारा ही होगा। जबकि देश के शीर्ष नेता इन तांत्रिकों के आशिर्वाद लेकर
चुनाव लड़ते हैं।
बैठक में निर्णय हुआ कि देश की सारी राख इस काम में
लाती जाएं, सरकार इसके लिए धनराशि मुहैया कराएं।
देशवासियों का जान का सवाल है इसलिए माल कम न हो। चमत्कारीयों ने अपने स्तर पर काम शुरू किया।कई टन राख बटोरी गई और काम शुरू किया गया।
देश पर आएं कोरोना के इस संकट को भगाने के लिए,सभी काम में लग गए हैं, देखते हैं _सफलता किसके हाथ लगती है।
                                
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