विज्ञान

                                             विज्ञान 

                                                       -     ना.रा.खराद
किसी भी मान्यता को तर्कसंगत तरीके से जो सिद्ध करता है,वह विज्ञान है। विज्ञान ज्ञान का परामर्श लेता है। खोज या अनुसंधान एक जिज्ञासा है, विज्ञान का जन्म इसी से हुआ है।बने बनाए या दकियानूसी से परे जमीनी हकीकत पर विज्ञान टिका है। किसी भी तर्क या सत्य को अंतिम न मानते हुए, जहां तक खोज कर सकते हैं, वहां तक उसका सफर जारी रहता है। दुनिया के तमाम वैज्ञानिक अहर्निष खोज में लगे रहते हैं
कुछ तथ्य हाथ लगने पर भौतिक सुख-सुविधाओं में उस खोज का उपयोग करते हैं।
 प्राकृतिक दुनिया में प्रकृति ने हमें जो नेमतें दी है, उन्हें खोजकर अपने तर्क के बूते वैज्ञानिक मानवोपयोगी कुछ संसाधनों का निर्माण करते हैं, जिससे मनुष्य जाति राहत महसूस करें और अपनी जीविका चलाने हेतु
अधिक सक्षम, गतिमान हो सके। विज्ञान कभी इस बात का दावा नहीं करता कि उनकी खोज या तर्क अंतिम है, बल्कि यह दावा करता है कि खोज के बाद पता चलेगा।
  वैज्ञानिक दृष्टिकोण एक निर्दोष दृष्टिकोण है, अपने इसी निर्दोषता के कारण वैज्ञानिक साधनों का बेझिझक उपयोग सभी करते हैं,उसका कोई विरोधी नहीं होता है। अपनी अकाट्य तर्कनिष्ठता के बल पर
वैज्ञानिक किसी खोज का आगाज करते हैं, और किसी एक वैज्ञानिक द्वारा खोज की गई खोज का सभी विश्वास करते हैं, वैज्ञानिकता पर कोई ऊंगली नहीं उठाता, क्योंकि सिद्धांत उसके मापदंड है।
  दुनिया के किसी भी देश में कोई खोज हुई हो, चाहें वह किसी भी खोजी ने की हो, मगर उसका उपयोग वैश्विक होता है,मानव कल्याण उसका मकसद होता है,जिसका कोई विरोधी नहीं हो सकता। वैज्ञानिक सोच,ऊंचे दर्जे की प्रतिभा चुनिंदा लोगों में होती है, वे लोग दुनिया के मसीहा बनकर उभरते हैं।
  शिक्षा का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक सोच विकसित करना है। दकियानूसी तथा अटकलपच्चू बातों को दरकिनार करते हुए, तर्कसंगत विचारों को अपनाने का विचार विज्ञान है।जो बात गले नहीं उतरती, उसे
न अपनाने का वैज्ञानिक संकल्प होता है। आधुनिक जीवन का समूचा आधार वैज्ञानिक संसाधन है, इसलिए इस बात को स्वीकार करना होगा कि विज्ञान ही ईश्वर का रुप है, यूं कहें कि ईश्वर ने ही हम मनुष्य को यह बुद्धि दी है कि हम उसकी इस दौलत को खोज निकाले।
  विज्ञान ईश्वर विरोधी नहीं हैं,न कि ईश्वर विज्ञान विरोधी है।ईश्वर को भी वैज्ञानिक तरीके से देखा जाना चाहिए। जानने के बाद मानना विज्ञान है, मानने के बाद जानना ईश्वरवाद है। विज्ञान ने जीवन को गति प्रदान की है, मनुष्य की त्रासदी को कम किया है, इसलिए हमें उन तमाम वैज्ञानिकों का कृतज्ञ होना चाहिए,जिनकी बदौलत आज दुनिया में खुशियां बढ़ी है। मनुष्य की तकलीफे कम हुई है।
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