ये पत्नियां!
- ना.रा.खराद
शादीशुदा मर्दों के लिए इससे बड़ी खुशी क्या हो
सकती हैं कि पत्नी को खुश रखने की कला की खोज हुई हो,यह एक लाइलाज बीमारी है। हजारों बरसों से पुरुषजात इससे पीड़ित हैं।
अन्य रोगों की तरह यह भी एक त्रासदी बनी हुई है।हर विवाहित इस रोग से पीड़ित हैं ,मगर यह गुप्तरोग की तरह सरेआम नहीं किया जाता।यह रोग लाइलाज है, दुनियाभर में इसके इलाज पर अनुसंधान हो रहा
है।विश्व के सभी ऋषि,संत, साहित्यकार, दार्शनिक,कवि इसपर चिंतन कर रहे हैं पर चिंता के सिवा कुछ हाथ नहीं लगा। कोई संत तो डर से मंडप जा भागे थे, जितने संन्यासी है, उनमें अधिकतर पत्नी की बदौलत है,शादी के दुख से संन्यास भला!
पत्नी ,जिसका अपने पति के सिवा कौन होता है
इसलिए वह हर ख्वाहिश अपने शौहर से पूरी करना चाहती है, आखिर पति ने भी तो उसे कहा था,तु रानी बनकर रहेगी।उसे वह सब यादहै जो शादी से पहले कहा था। जैसे चुनाव से पहले किए गए वादे जनता नेताओं को याद दिलाती है, पत्नियां भी पतियों को याद दिलाती
है।इसी सिरदर्द से वैवाहिक जीवन शुरू होता है।
पति-पत्नी के बीच की तनातनी अंतिम सांसों तक चलती है।
पति चाहता है, पत्नी खुश रहें। हरसंभव प्रयास
करता है मगर न जाने पत्नियां किस मिट्टी की बनी है, संतुष्ट ही नहीं होती।अपनी ख्वाहिशों को बोझ वह पति पर लाद देती है, बेचारा गधे की तरह उसे ढोता है।बाहर बेइज्जती से बचने के लिए घर में बेइज्जती सहता है,कहता नहीं। पत्नी के ताल पर पति नाचता है,पति उसकी मुट्ठी में होता है। भारतीय कानून में पत्नी द्वारा
छल होना पीड़ा नहीं बल्कि पत्नी धर्म है।
घर में वही चीजें आती है,जो पत्नी को पसंद हो।
घर से निकाल दूंगा ,पति कह नहीं सकता मगर
घर में नहीं लूंगी पत्नी जब चाहे कहती है।
पति के हर काम में वह टांग अडाती है।हर तरह
का पति इसे रोग से पीड़ित हैं।ताने मारने में पत्नीयां माहिर होती हैं।पति को खुश देखकर पत्नियां शक करती है,वो जानती है कि यह खुशी उससे तो नहीं है।पति मिठी बातें करें तो उसे झूठी लगती हैं, कड़वी करें तो,आपको मीठी बातें करना आता नहीं।
सारे संसार में दुख का जो मूल है,वह शादी है।
कुंवारे शादी के लालायित हैं और शादीशुदा पछता है।बेचारे घर के ना घाट के रहें।अपने किए पर पछता रहें।मगर खुलकर कहते नहीं।
पत्नी तरकारी कौनसी पकानी है ,पूछती तो है
मगर बनाती अपने पसंद की। अलमारी में दौ सौ
साड़ियां हो फिर भी हर मौके पर उसे नयी साड़ी
चाहिए।उसके सभी मायकेवाले किसी देवी-देवताओं से कम नहीं पर ससुरालवालें अनपढ़,जाहिल लगते हैं।
ख्वाहिश,अरमान,सपने, उम्मीद का नाम पत्नी
है ,जो इसके लिए पति का पतन करती है ,जिसका पतन होता है वह पति कहलाता है।