मौत एक सच है, उसे सहजता से स्वीकार करना चाहिए।

                   मौत का सच
                                 - ना.रा.खराद

                                    जिंदगी को जितना सच माना जाता है,मौत भी उतनी ही सच है।बस,एक करवट बदलती है और सबकुछ खत्म!
 जिंदगी से मौत जुडी है।बस, पांसा पलटना बाकी।हमसे करोडों वर्ष पहले मनुष्य थे और आगे भी रहेंगे। मनुष्य के अलावा अन्य हजारों जीव जंतु इस धरती पर है।कुछ रेंगते मरते, कुछ दौडते,कुछ भोंकते ,कुछ कुचलकर, मौत तरीके बदलती है, स्वभाव नहीं।
मनुष्यों में भी मौत तरीके बदलकर आती है।वह अचानक दबोच लेती है।कोई नाचता हुआ मरता है,कोई नचाता हुआ।कोई बहुत जीकर मरता है ,तो कोई जीने से पहले।जिंदगी के साथ मौत चलती है।उससे भागना मुश्कील।कोई बडे़ अस्पताल में दम तोडता है।कोई सरकारी अस्पताल में।मौत के बाद समता आती है।मौत के खयाल से इन्सान कांपता है।कोई मरना नहीं चाहता क्योंकि जिंदगी में मजा है।मौत से जिंदगी भली।किसी को मौत खयाल नहीं होता।वह जिता जाता है।मौत से पहले उसके बारे में सोचना मगर डरना नहीं।जिससे छुटकारा नहीं, उससे क्या डरे।दूसरों की अंत्ययात्रा में जाकर ,अपनी अंत्ययात्रा दिखे।
 दुनिया को जितनेवाले ,मौत को नहीं हरा सके।औरों की जिंदगी छिन सकते हो ,मगर अपनी मौत रोक नहीं सकते।मौत बहाने बनाकर आती।जहां मारना है,वहां लेकर जाती है।बचानेवाले डाक्टर भी नहीं बचते।
भले लोग किसीको अमर कहें,स्वर्गवासी कहे,मौत के बाद पुतले बनाकर उन्हें पुजती है।पुजनेवाले मर जाते,पुतले अमर हो जाते हैं।
 मौत से कोई भाग नहीं सकता, क्योंकि मौत पीछा नहीं, इंतजार करती है।मौत को कोई डरा नहीं सकता, उससे सब डरते हैं।मौत का खौफ हर किसी को है, मगर सच से
मुंह मोड़ नहीं सकते। मौत की कोई सुरत नहीं है। आकस्मिक दबोचना उसकी फितरत है। चारों तरफ मौत का मातम है। कहीं चिताए धधकती है,तो कहीं मिट्टी में
दफ़न होती मौतें।हर तरफ मौत का मंजर है। जिंदगी मौत का मेला है, यहां हरकोई अकेला है मगर भीड़ में छिपकर खुद को सुरक्षित मान रहा है, मगर जिसने जिंदगी दी है, उससे तुम बच नहीं सकते।मौत हर किसी का पता जानती है। मृत्यु लोक में मौत का तांडव है, यहां जन्म ही मौत है।जन्म के साथ ही मौत की तारीख तय है। इन्सान इन्सान को बचाने की जद्दोजहद करता है, मगर कोई बचता नहीं।मौत के साथ सब समाप्त हो जाता है। सबकुछ यहीं रह जाता है। कोई और कुछ काम नहीं आता,मौत सारे भ्रम तोड़ देती है। मौत करीब आने पर जिंदगी का मतलब समझ में आता है।
मौत एक गहरी नींद है, फिर कब और कहां खुलती हैं, किसी को पता नहीं है।मौत का सच मौत के बाद ही मालूम होगा। मौत के बारे में हम कुछ कह नहीं सकते,जो भी कहते हैं, जिंदगी के बारे में ही। मौत तो एक रहस्य है,जो जीवित लोगों को मालूम नहीं है।
 कोई नाम छोड जाता,कोई दौलत छोड जाता।जहां हम खडे है,वहां भी कितने मुर्दे गडे है हमें पता नहीं।कागज पर सारी दौलत ,कागज जल जाते,स्याही मिट जाती,जब मौत कयामत लाती।जब तक है जान ,जान कीमत नहीं मालूम होती।मेरा मेरा कहते कहते जान सब ले जाती।
जैसे नींद अल्प मौत कहलाती,मौत सदा की नींद कहलाती।
किसी मौत पर रोना क्यों, जबकी हम अमर नहीं।जिंदगी से प्यार किया तो मौत से भी करो,डरकर आहें न भरों।
जिंदगी किसीने दी,मौत कोई देगा।जो होना है वही होगा।
 मौत का स्वागत!
   
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