शिक्षक का कार्य

           शिक्षक का कार्य
                              - ना रा खराद
  शिक्षक,जो बच्चों को पढ़ाता है , सरकारी वेतन पाता है।किसी सरकारी या अर्धसरकारी शिक्षा संस्थान में कार्यरत होता है। अध्यापन यह शिक्षक का प्रमुख कार्य होता है।इस कार्य को बहुत से लोग एक मामूली कार्य समझते हैं, लेकिन हकीकत में यह निहायत ऊंचे दर्जे का कार्य है।
अध्यापन के साथ-साथ शिक्षक बच्चों पर जो अन्य संस्कार करता है, समाज उससे अनभिज्ञ हैं।
चूंकि शिक्षक का सरोकार एक जिवित वर्ग से हैं इसलिए  संप्रेषण की कला से शिक्षक को अपना कार्य करना होता है।
शिक्षक जो शिक्षा दें मगर उसका दायरा बहुत बड़ा है। उसे कई किरदार निभाने पड़ते हैं।उसे कभी पुलिस का किरदार निभाना पड़ता है, छात्रों में रोब जमाना, उन्हें बूरा कार्य करने से रोकना, जरुरत पड़े तो डंडे का इस्तेमाल करना पड़ता है।
शिक्षक एक न्यायाधीश भी होता है। छात्रों के साथ सही इन्साफ करना पड़ता है। छात्रों के विवाद में दोनों पक्षों की बातें , दलील,गवाह देखकर न्याय करना होता है।न्याय का पहला संस्कार स्कूल में होता है।
शिक्षक छात्रों का नेता भी होता है।उसी के नेतृत्व में छात्र अनुसरण करते हैं।
 शिक्षक अभिनेता भी होता है, अपने भाव-भंगिमा में से छात्रों का मनोरंजन करता है। अपनी विभिन्न कलाओं से छात्रों में रुचि पैदा करता है।
शिक्षक देशभक्त होता है,वह सदैव छात्रों में देशभक्ति भावना निर्माण करता है।वह मानवतावादी संत भी होता है। संविधान रक्षक होता है।
 समाजसेवी होता है।मां की ममता उसमें होती है तो बाप का रोब भी।वह मित्र होता तो भाई भी।
मार्गदर्शक तथा मददगार भी होता है।वह दयालु होता है। स्वाभिमानी,प्रखर, तेजस्वी, सत्यवान होता है।
समाज के निर्माण में शिक्षक का योगदान सबसे ज्यादा है।उन तमाम शिक्षकों को मैं नमन करता हूं, जिनमें उपरोक्त गुण ओतप्रोत है।
        
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