कवि और कोरोना
- ना.रा.खराद
जब से देश में कोरोना आया,तब से देश के प्रतिभावान इस लाइलाज बिमारी का इलाजखोजने में जूट गये चूंकि यह भारत है , यहां इलाज वैज्ञानिक होना जरुरी नहीं।यहां जुगाडी़ लोग है।अपने पास जो संसाधन हैं,उसीसे काम चलाते हैं।मात्र भभूत लगाकर यहां बडी़ बडी़
बिमारीयां ठीक होने के दांवे किए जाते है।
भारत प्राचीन देश है,इसका देशवासियों को
बडा़ फक्र हैं।हर रोग का इलाज वेदों में ढूंढते है। देशभक्तों का दावा है कि दुनिया के सारे अनुसंधान भारतीय ग्रंथों से हुए।यह बात औरहै कि इसका पता हमें औरो के अनुसंधान से चला।हमने तो ग्रंथों का उपयोग पारायनों के
लिया किया।भारत के तमाम ग्रंथ जो देवताओं द्वारा अथवा उनके भक्तों ने रचे सभी काव्यरुप में है इसलिए इस देश में कवियों की सदा से चांदी रही है।धन मिले ना मिले मान देकर उसे महफिलों से बाइज्जत विदा किया जाता है। श्रोताओं की तालियों से जिसका पेट भरता है।
बेचारे कवि ,देश का मन भरते हैं।हर संकट में काव्य रचाते हैं ,आज की घड़ी में 'कोरोना ' के संकट से देश सदमे में हैं चूंकि सबसे संवेदनशील तो कवि हैं।इलाज से पहले कवि जमात कविताएं रचने में लग गयी, आखिर देश पर संकट जो है। आजादी में दिलाने में भी कवियों योगदान है, कविताओं से तो देश जाग गया भले कवि ने लडे हो मगर औरों को प्रेरणा तो दी। कवियों का जो काम है ,वे सदा से करते आए हैं।आज भी देश के तमाम कवि अपनी-अपनी भाषाओं में काव्य रचा रहे हैं।इस दुख की घड़ी में कवियों की प्रतिभा सातवें आसमान पर है।
जब से कोरोना आया।भारतीय कवियों को एक नया विषय मिला ,सारे कवि सक्रिय हुए।शब्दों का सरकार की तरह गठजोड़ शुरु हुआ।तुकबंदियां शुरु हुई।नामचिन कवि इसपर महाकाव्य लिखने की योजना बनाने लगे।कुछ नवजात कवि अपने लेखन प्रतिभा को कोरोना जैसे महामारी काव्य से आरंभ करने लगे।कुछ कविमंडलों ने "काव्यरस हि इस बिमारी का इकमात्र इलाज है।"ऐसा प्रस्ताव पारित किया।अन्य प्रस्तावों की तरह जो धूल खाता है,सरकारी दफ्तरों में!
किसी कवि ने "कोरोनामय" इस नामक करुणामय काव्य लिखा।उसका मानना है,उसकी यह किताब करुणा रस की अदभूत किताब साबित होगी।
कुछ ईश्वरवादी कवि ,इस महामारी को ईश्वरीय प्रकोप कहने लगे।अपने काव्य से ईश्वर से इससे बचाने की प्रार्थना करने लगे।
आस्तिक जनों में उनकी कविताएं फलने फूलने लगी।कुछ अंधविश्वास,तंत्र मंत्र से इसका इलाज खोजने लगे।ग्रंथ खंगालने लगे।
भारत में काव्य सदा हावी रहा है।सभी बडे़ ग्रंथ काव्य में है।सिनेमा गीत छंदों में है,इसलिए गुनगुनाते हैं।संतों ने काव्य में ही अपनी बात कही।देखते है कोरोना पर आधुनिक कवि किस तरह की काव्यरचना करते है।भारत को एक और महामारी का महाकाव्य भेंट देते है।