बात पते की...
- ना.रा.खराद
इन्सान धोखा खाने वाला और धोखा देने वाला प्राणी है। धोखा देने के तरीकों में सबसे कारगर तरीका बातों में उलझाकर, बातों से बहकाकर और बातों में मोहकर अपना उल्लू सीधा कर लेता है। आदमी आदमी से परेशान हैं क्योंकि वह जो कहता है और करता है, उसके पीछे का मकसद छिपाता है। आदमी के चरित्र की परतें खुलती नहीं, परत-दर-परत निकलतीं है।
देशसेवा और समाजसेवा का दिखावा करके राजनीति में छलांग लगाई जाती है। सेवा के पीछे का मकसद असली बात है। मीठी भाषा मीठी छुरी का काम करतीं हैं। ज्ञानी अपने ज्ञान से जगाते कम सूलाते ज्यादा है।
समाज में जितने लोकप्रिय और कामयाब लोग हैं, इनके असली चेहरों को टटोलो तो पता चले कि सच्चाई क्या है। यहां हरकोई वो नहीं जो देख रहे हो।ढोंग इस युग का मुलमंत्र है।'आटा दिखाना और कांटा छुपाना।' इस कहावत को चरितार्थ कर रहा युग है।
अच्छाई बुराई छिपाने का बेहुदा मार्ग है। कोई बुराई उतनी बुराई नहीं होती। बड़े बड़े भाषण से लोगों को गुमराह किया जाता है। अपने असली मकसद तक पहुंचने के लिए नकली चोला पहनकर निकलना पड़ता है। नकाबपोशों ने समूचा समाज निगल लिया है,अब उनकी चपेट से
बाहर निकलना मुश्किल है। बहेलिए के जाल की तरह इन बदमाशों के जाल होते हैं, इसलिए बूरा आदमी उतना बुरा नहीं है, जितना अच्छाई के नकाब में छुपा शातिर ।
आदमी क्या करता है, इससे जानना जरूरी कि
क्यों करता है। आदमी का असली मकसद देखना चाहिए न कि सिर्फ बाहरी आडंबर। आजतक जितनी ख़तरनाक बुराईयां सामने आई है,वे लोगों के विश्वास से पनपतीं रहीं हैं, लोगों का विश्वास अच्छाई के प्रदर्शन की कला से हासिल होता है, और इस खेल में माहिर दुष्ट इसमें महारत हासिल किए हुए हैं।
कोई ग़लत मार्ग से अच्छाई तक पहुंचता है तो कोई अच्छे मार्ग से ग़लत तक।पते की बात यह है कि हम इसे जानें। चीजों को माने नहीं,जाने बिना।तब इनके मनसूबे नाकाम हो सकतें हैं।