- ना.रा.खराद
समाज में सफल लोगों का, जिन्हें लोग सफल कहते हैं, मुआयना किया तो पता चला कि,उनकी सफलता के पीछे' प्रशंसा' का बड़ा हिस्सा है। जबकि लाखों काबिल लोगपड़े हो,और ये किस खेत की मूली की हैसियत रखनेवालें कैसे चोटी पर पहुंच गए? आशंका के लिए अवसर है।
किसी भी व्यक्ति का शोषण करना हो,तो प्रशंसा बड़ी कारगर साबित होती है।अपना काम निकलवाना हो,तो
प्रशंसा का बिगुल बजाओ,काम फतेह।आदमी प्रशंसा का इतना भूखा है कि उसके लिए सारे उपद्रव करने को तैयार रहता है।जो प्रशंसा करें ,उसकी को हम अपना मानते हैं। जिसे भी ' काबिले-तारीफ ' कहना आया, उसने औरों का दिल जीत लिया।
प्रशंसा की कला एक महान कला है।जितने भी सफल
लोग हैं, प्रशंसा की सीढ़ी से चढ़े हैं।हाथ वही देता है, जिसके हाथ की प्रशंसा की जाए। तालियां बजाकर लोग
प्रशंसा करते हैं, ताकि उससे खुश होकर वह लोगों का
उल्लू सीधा करें।लोग तो कोई पेट में छुरा घोंप ले तो भी
तालियां बजाकर खुशी जाहिर करते हैं।
प्रशंसा से लोग अपना स्वार्थ साध लेते हैं, कोई प्रशंसा
करें तो समझो कि जरुर कोई स्वार्थ है।
लोग अपने ऊंगली पर नचाना चाहते हैं, इसलिए नाचनेवाली की प्रशंसा करते हैं। जितनी भी कलाएं हैं, प्रशंसा पर टिकी हैं। राजनीति में तो हरकोई अपने आलाकमान की प्रशंसा से बड़े ओहदे पाते हैं, नेताओं
की प्रशंसा से उपनेता बनते हैं।
घर में भी प्रशंसा कारगर होती है,जिस पति को प्रशंसा का फंडा आया, दंपति जीवन सफल!
प्रशंसा में कंजूसी से आप सदा पिछड़ जाओगे, जिसके
भी हाथ में आपकी भलाई है,उसकी प्रशंसा में कोई कोर कसर न छोड़ो। बड़े बड़े सुरमा इसी मार्ग से सफल हुए हैं।
लोग भगवान का भी गुनगान,उसकी प्रशंसा अपने स्वार्थ के लिए करते हैं,न कि भक्ति भावना से!
प्रशंसा पाकर इन्सान फूला नहीं समाता,इत्मिनान पाता है। प्रशंसा सुनने के लिए कान तरसते रहते हैं।बिना किसी खर्च के व्यक्ति को खुश करने का प्रशंसा से बढ़कर कोई उपाय नहीं है।आप अगर आगे बढ़ना चाहते हैं,तो जो आगे है,उसकी प्रशंसा करों।गधे के पीठ पर बैठना है तो उसकी पीठ की प्रशंसा करों।
अपना उल्लू सीधा करना हो ,तो औरों को उल्लू बनाना पड़ता है,और उसके लिए प्रशंसा से बढ़कर कोई चारा नहीं। व्यक्ति अपनी प्रशंसा पर कभी शक नहीं करता,वह झूठी भी हो,तो भी प्रसन्न हो जाता है।
प्रशंसा हर उम्र के लोगों पर कारगर होती हैं, कलाकारों और साहित्यकारों पर तो उसका खासा असर होता है,सभी कलाओं का विकास इसी प्रशंसा से हुआ है,गर
कला और कलाकारों की प्रशंसा न हो,तो कौन मूर्ख उस कला को तवज्जो देगा। नेताओं के भाषण श्रोताओं की तालियों पर आगे बढ़ते हैं। लोग अगर तालियां बजाकर प्रशंसा न करें तो नेता भाषण नहीं कर सकते।
हर जगह कोई किसीकी प्रशंसा कर अपना मकसद पूरा कर रहा है, प्रशंसा भी लौटाने की चीज है,गधा अगर ऊंट को सुंदर कहें,तो ऊंट को भी गधे के आवाज की प्रशंसा करनी पड़ती है, जैसे को तैसा धर्म निभाना पड़ता है।
प्रशंसा इन्सान को जितना गुमराह करती है, उतनी कोई
चीज नहीं। प्रशंसा अंधी बना देती है।उसके पीछे का राज
देखा नहीं जाता। प्रशंसा पाने के लिए न जाने आदमी क्या क्या कर रहा है, कोई शिखरों पर चढ़ रहा तो कोई
खाड़ी तैर रहा है। बड़े करतब दिखाए जाते हैं ,जो किसी
काम के नहीं रहते। प्रशंसा के ऐसा खोटा सिक्का है,जो
धड़ल्ले से चलता है। प्रशंसा के बदले प्रशंसा होती है। आपकी जिसकी प्रशंसा करेंगे,वह भी ब्याज के साथ
वापस करेगा।मगर यह भी सच है,आदमी का फायदा प्रशंसा से भले होता हो, मगर आदमी का नुक़सान प्रशंसा
सुनकर होता है।
कोई किसी की बेवजह प्रशंसा नहीं करता, उसके पीछे
मकसद होता है।जो सच में प्रशंसनीय है ,उसकी प्रशंसा लोग कभी नहीं करते, बल्कि किसी की प्रशंसा अपने फायदे की है,उसकी प्रशंसा करते हैं।