समय- समय की बात

                               समय -समय की बात
                                                       - ना.रा.खराद
परिवर्तन संसार का नियम है,वक्त के साथ सबकुछ बदलता है।समय स्थिर है।समय में
सब समा है। चीजें रोज बदल रही हैं,बदलनाउसका स्वभाव है। कुछ बदलाव इतने धीमे होते हैं कि दृष्टि को नजर नहीं आते, जैसे बीज नजर नहीं आता, अंकुर से पता चलता है।
कुछ बदलाव अकस्मात होते हैं, परिणाम स्वरूप अन्य चीजों को भी बदलना पड़ता है।
वक्त के दिमाग में क्या है,इसका किसीको अंदाजा नहीं होता। सदैव आश्चर्य से और जिज्ञासा से जीवन भरा रहता है। उम्मीद,ख्वाईश,सपने बस एक जाल है, जिसे इन्सान जिंदगीभर बुनता है। असली जिंदगी वही होती है,जो वर्तमान में हम झेल रहे हैं।
भूतकाल और भविष्यकाल यह तो केवल बहाने है, वर्तमान से भागने के।मौसम बदलता है,साथ साथ सबकुछ बदलता है।यही बदलाव जिंदगी को रंगीन बना देता है।
हर शख्स की जिंदगी में ऊंचे नीचे रास्ते आते है, उसकी जिंदगी में रस पैदा करते हैं।आदमी
सुख से भी ऊब जाता है इसलिए दुख की भी जरुरत है। सफलता का सुख भी असफलता के दुख से निकलता है।अमीरी का सुख गरीबी की यादों के बिना पूरा नहीं होता। यहां पल में
परिवर्तन होता है। नष्ट और निर्माण प्रकृति का स्वभाव है।हम भी प्रकृति की ईजाद है।
आदमी का व्यवहार वक्त के साथ बदलता है।
जो आज है,जैसा है,कल नहीं होता।सारी प्रकृति सदैव नया रंग दिखाती है।इन्सानी फीतरत तो बहुत चंचल है। समयानुसार इन्सान बदलता है। यहां भरोसे के काबिल कोई नहीं है। वक्त बेभरोसे का है।
अपना अपना समय होता है।व्यक्ति हो या चीजें समय पर मोल पाते हैं।हर चीज अनमोल
है,बस समय की प्रतिक्षा करों।ठूकराएं गये कई पत्थर बाद में मंदिर में पूजे जातें हैं।धूल में पड़ा हिरा भी कोई तो उठाता है। यहां जर्रे जर्रे में अस्तित्व विद्यमान है।हर किसीका समय है।
चांद का अपना ,सूरज का अपना वजूद है। दहाड़े मारनेवाला शेर पिंजड़े में कैद होने पर
बेबस बनता है।समय की ताकत से बढ़कर कोई ताकत नहीं। वक्त के साथ कितने साम्राज्य नेस्तनाबूद हुए। कोई चीज छोटी बड़ी नहीं होती,समय छोड़ा बड़ा होता हैं।
रात होने पर जुगनू चमकता है तब नजर आता है। चमकता तो दिन में भी था। चांद सूरज की
वही बात है। कभी नाव गाड़ी में कभी गाड़ी नाव में, यहीं
दस्तूर है।यह दुनिया एक मरघट है, यहां की मिट्टी में हमसे पहले कितने दफन हुए, कितनों
की राख और कंकाल हैं। बडे़ बडे़ जानवर काल के गाल में समा गये। सच्चाई को भूलाने
के लिए हम भले लाख बहाने बनाएं मगर समय के थप्पड़ों से कोई नहीं बचता।
समय से बढ़कर कोई पोथी नहीं। उसमें सब लिखा हुआ है,हम पढ़ नहीं पाते।
पशु पक्षी तक अपने समय पर शोर मचाते हैं। सभी तरह के फूल एकसाथ नहीं खिलतें।सभी
फल एक समय में नहीं होते।समय का पहिया घुमता रहता है।समय को समझना,समझदारी है।समय का पालन करें,उसका स्विकार और स्वागत करें। भरोसा करें की ,अपना भी समय आयेगा।
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