बहाने

                          बहाने
                                - ना.रा.खराद


मैंने एक हिंदी गाना सुना था,' मैं तुझसे मिलने आयी मंदिर जाने के बहाने।' और यहीं बहाने हमारी समूची जिंदगी में छाएं हुए हैं। यहां हरकोई ' बहानेबाज' हैं, बहानेबाजी में कुशल है।
जिसकी बहानेबाजी जितनी कारगर उतना वह सफल है। राजनीति तो बहानेबाजी का खेल है।
छोटे-छोटे बच्चों से लेकर तो आखरी सांस ले रहे बुजुर्ग तक बहानेबाजी का खेल चलता है।
किसी कार्य से बचने के लिए बहानेबाजी से बढ़कर कोई चारा नहीं है।बहाने कुछ न करने या कुछ करने दोनों के लिए उपयुक्त हैं।
किसी मित्र ने उधार पैसे मांगे ,तो सैंकड़ों बहाने तैयार रहते हैं। किसी बैंक से कर्ज मांगों बहानों से टाल देते हैं। किसी नेता से मिलना हो,लाख बहानों से टाल दिया जाता है।
बहाने हरकोई बनाता है, फिर चाहे स्त्री हो या पुरुष,बच्चा हो या बूढ़ा। जैसे बहाने मुसीबत या संकट से बचने का मार्ग है बहाने!
नित्य दिन ' तबियत ठीक नहीं है।' कहने वालों की तादाद तो देखो,पता चलेगा बहानों में यह सिक्का कैसे चल रहा है। घर में स्त्रियां लाख बहाने बनाती है, जबकि पुरुष जानता है कि बहानेबाजी है। पुरुष तो सच
की बला टालने के लिए अक्सर बहाने बनाकर ही अपना पिंड छुड़ाते है।
किसी का उधार न चुकानेवाले बहानों से टाल दिया करते हैं।सच को छिपाने के लिए बहानों से
बढ़कर दूसरी चीज भी तो नहीं है।
किसी से मिलने का वादा किया ,न मिलना चाहे या न मिल सके तो कोई एक बहाना ढूंढ लिया कि बात बन जाती हैं।
किसी ने हाथ देकर कार रुकवाई,मदद मांगी,तुरंत बहाना बनाया जाता है कि हम उधर नहीं जा रहें है।जो हम नहीं करना चाहते, उसे टालने के बहाने बनाते हैं।मूड नहीं,समय नहीं यह तो
तकिया कलाम के हद तक पहुंचे हैं।खाली बैठे लोग भी ," काम से फुर्सत नहीं मिलती यार।" कहते नजर आते हैं। अनपढ़ , मजबूर था इसलिए नहीं पढ़ा कहते हैं तो सफल गरीब अपने संघर्ष की गाथा सूनाते हैं चूंकि दोनों बहाने
होते हैं।
प्रेमी अथवा प्रेमीका बहानों से शादी टालते हैं।सच से बचने के लिए बहानों का भरसक इस्तेमाल किया जाता है।गाड़ी में जगह नहीं है,टायर में हवा नहीं है या डिझल नहीं है, आवश्यकता के अनुसार बहाने चुन लिया जाता है।अरे मैं जल्दी में था ,कह दो , छुटकारा पा लो।फोन न उठाने के बहाने रहते।
स्कूल में छात्र तरह-तरह के बहानों से बचते हैं।घर पर स्कूल के काम के बहाने , स्कूल में घर के
काम के! बच्चे हो या सयाने अपने स्वार्थ का ज्ञान हर किसी के पास होता है,मगर सीधे टकराव से बचने के लिए बहाने जैसे हथियार काइस्तेमाल किया जाता है। अगर और मगर का उपयोग बहानों में होता है। किसी से मिलने का,
न मिलने का बहाना बना देते हैं।
किसी की शादी या अन्य समारोह में नहीं जा सके तो बहानेबाजी काम आती है।
बहाने अपने-आप में बहुत ही कारगर साबित होते हैं, जब-तक सुरज रहेगा, बहानों तेरा राज
रहेगा।बस,अब मुझे काम है ।सच कहूं, कोई काम नहीं, बहाना था!
                 
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