सरकारी पौधे कभी पनपते नहीं है।

                                        सरकारी वृक्षारोपण!
                                                                    - ना.रा.खराद
   वर्षा ऋतू थी,मेंढ़क टर्राने लगे थे,सरकार भी हरकत में आयी थी,अपनी पूरानी योजनाओं को
नए सिरे से चमकाने में लगी। मंत्रीमंडल ने दस करोड़ पौधारोपण कार्यक्रम घोषित किया।सभी
सरकारी कार्यालयों को इत्तिला की गई। अखबार में खबरें छपी, इश्तहार छपे ,हर मोड़, नुक्कड़, चौराहे पर सरकारी वृक्षारोपण की चर्चा होने लगी। बड़े-बड़े अफसर इस काम में जुट गए क्योंकि सरकार ने इस काम का ब्यौरा मांगा था और इनाम एवं पुरस्कार की घोषणा भी की थी।
  सरकारी पुरस्कार एक झांसा होता है ,जो कर्मीयों को लुभाता है मगर कामचोर कर्मचारी जानते हैं कि पुरस्कार से ज्यादा मजा तो कामचोरी में है। हर सरकारी दफ्तर में सरकारी आदेश का पालन करने की सूचना दी गई।मातहत कर्मचारियों को पौधों और रोपण की जगह तय करने आदेश जारी किए। किसी कर्मचारी ने पूराने गड्ढों में नए पौधे रोपण की बात कही तो अफसर आगबबूला हुए।कहा, हमें गड्ढों से मतलब है, पूराने क्या और नए क्या!
पौधे मंगाएं , वृक्षारोपण कार्यक्रम तय हुआ। अखबारों में खबरें छपी।अफसर और मातहत कर्मचारी हल्की वर्षा में छाता लेकर दफ्तर पहुंचे, मिडियावालों को इत्तिला की गई।सभी कर्मचारी बड़े सज-धजकर आए थे। गैरहाजिरी
की लतवाले कर्मचारी भी आज मुस्तैद थे।शायद, प्रमोशन में वृक्षारोपण रोड़ा न बने यह सोचा हो!
बहुतों ने साबुन और तौलिया भी साथ लाया था,चूंकि सरकारी काम था, फोटो खिंचवाई होगी।
शहर से करीब एक पहाड़ी थी, पौधारोपण के लिए वह जगह चुनी गई। पहले इस जगह का विरोध इसलिए हुआ कि वहां अफसरों की नाजूक कारें पहुंच नहीं सकेगी। कुछ कदम पैदल चलने से अफसरों के पैरों में छालें पड़ सकते हैं। पहाड़ी से करीब से एक सड़क गुजरती थी,उसी सड़क के किनारे पौधारोपण ओतय हुआ।
अधिकारियों की गाड़ियों का काफिला आ धमका। पुलिस भी साथ थी। जनता के आक्रोश का अंदाजा नहीं इसलिए सतर्कता बरती जा रही थी।
गतवर्ष इसी जगह वृक्षारोपण कार्यक्रम हुआ था। हजार पौधे रोपे गए थे, बदनसीबी से एक
भी जिवित न था। गड्ढों की खुदाई ज्यादा करने की जरूरत न हुई। सरकारी जगह पर, सरकारी
खर्च से सरकारी कर्मचारी पौधारोपण कर रहे थे। अधिकारी ने पहला पौधा हाथ में लिया,बगल
में साबुन और तौलिया लिए मातहत खड़ा था। मिट्टी से हाथ गंदे हो जाएंगे इसलिए हैंडक्लोज
मंगाएं गए, सबने तालियां बजाकर खुशी जाहिर की। फटाफट फोटो खिंचवाए गए, पौधारोपण
से पहले ही चारों ओर खबर फैल गई।हल्की फुहारें चल रही थी। सबने छाते खोलें। वर्षा को
शुभ संकेत माना गया। कुछ कर्मी इसलिए राहत महसूस कर रहे थे कि आज दफ्तर के काम से
बच गए।वे पौधे पनपने को तरस रहे हैं।
इधर उस अधिकारी को' वृक्ष मित्र' का पुरस्कार देकर सरकार ने गौरवान्वित किया!
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