शराबी की व्यथाएं

             शराबी की व्यथाएं !
                                   - ना.रा.खराद
 हर वर्ष सरकारी बजेट में जिस पेय का सरकार
दाम बढ़ाती है,वह है शराब !हर शराबी इससे वाकिफ भी है और व्यथित भी! आखिर शराबीयों ने सरकार क्या बिगाड़ा हैं,शराब और शराबियों ने तो सरकारें बनायी हैं। सरकार बनाने में शराब का योगदान किसी से छिपा नहीं है। शुरू शुरू में शराब सस्ती थी,लत लगा दी और अब दाम बढ़ाते जा रहें हैं और कोई चूं तक नहीं करता।शराबीयों की शराफत का सरकार नाजायज लाभ उठाती है।शराबियों में जो लिहाज है , अन्य किसी उपभोक्ताओं में नहीं हैं।
  वैसे शराब ऐसी चीज है,जो बनती और बिकती खुलेआम है ,मगर छुपकर पीनी पड़ती है।
शराब के बढ़ते दामों से घरेलू बजेट चरमरा जाता है, मुफ्त में भी कोई कब तक पिलाएं?
लोग शराब के लिए विकल्प ढूंढते हैं तो उसपर
भी सरकार को एतराज है।न पिलाती न पीने देती!
कुछ क्षेत्रों में शराब बहुत सस्ती है ,उधर से खरीद नहीं सकते,इधर ला नहीं सकते।शराब इकमात्र चीज है जो प्रतिबंधित है।गोवा,दमन में तो शराब का सागर है,शराब के लिए वहां जानागरीब की जेब पर भारी पड़ता है। विदेशी मजे से शराब उड़ा रहे हैं और देशी को देशी?
शराब के बढ़ते दामों पर किसीको चिंता ही नहीं है,न कोई समाजसेवी आगे आता है।शराब इतनी बदनाम क्यों है? उसके पक्ष में कोई आंदोलन नहीं, चूंकि इसके पक्षधर तो समूचे भारतवर्ष में है। अफसोस ,शराबी संघटित नहीं है वर्ना वे सरकार को हिलाते।शराबी संघटित हुए तो उग्र हो सकतें हैं ,मगर आपसी।
शराबी खुलकर सामने नहीं आते, सरकार इसी का  फायदा उठाती है।शराब के पैसों से सरकार
चलती है,शराब का विरोध शराब के पैसों से करना पड़ता है।हर छोटे-बड़े गांव में अब शराब के ठेले लगे हैं।घर में तेल की कुप्पी भले न हो,मगर शराब की बोतल ख़रीदता हैं।
   सरकारी तिजोरी शराबी भरते हैं, दूधवालों को दूध का दाम बढ़ाने के लिए आंदोलन करना पड़ता हैं,मगर शराब का दाम वे बिना किसी मांग के बढ़ा देते हैं। दरअसल दूध गायें, भैंसों से मिलता है और शराब सरकार से! ऊपर से शराब पर कर भी! 
  शराब पीकर कोई नियंत्रण न खोएं,उसके लिए
पुलिस? लोग नियंत्रण खोने के लिए शराब पीते
हैं, सरकार का उसपर भी नियंत्रण!
सरकार एक तरफ शराबी और शराब पर चिंता
जताती है,शराब हानिकर है बोतल पर लिखवाती है फिर दाम क्यों बढ़ाती हैं। हानिकारक चीजों के दाम दिन-ब-दिन बढ़ाए जा रहे हैं। दाम बढ़ाने पर भी
पियक्कड़ कम नहीं होते।शराब की बढ़ती लोकप्रियता से सरकार मन में खुश है क्योंकि उससे से आय होती है वह पेट्रोल से भी ज्यादा है।
  अब वो दिन दूर नहीं,जब शराबीयों का एक मजबूत संगठन बनेगा, सरकार बनेगी। मंत्रीमंडल शराबीयों का
होगा।शराब का दाम कम करना सरकार का पहला फैसला होगा। गरीबों के लिए शराब भत्ता शुरू किया जायेगा।शराब से बिमार हो तो मुफ्त में इलाज होगा।शराब पीकर गाड़ी चलाने से मौत हो तो पचास लाख का बीमा मिलेगा।
शराबीयों के आंसू केवल दूसरा शराबी पोंछ सकता है, आखिर हमदर्द जो ठहरा!
                 
        
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