पतनी

          पतनी 
वह पत्नी पीड़ित था,उस पीड़ा से वह चीखना चाहता है, मगर वह जानता है,उसकी तरह लाखों मर्द अपनी पत्नी के सामने दम तोड़ रहे हैं, और उनकी आह सुननेवाला कोई नहीं है। 
 स्त्री अबला से कब बला बनी है,पता ही नहीं चला,वह पति के लिए पत्नी नहीं बल्कि पतनी साबित हो रहीं हैं। चारदीवारी में बंद इस कैदखाने में पत्नी नामक जेलर से पति आहत हैं, घायल है,मायुश है। पति से नाराज़ पत्नी मायके निकल जाती है,मगर पति जाएं तो कहां जाएं? पत्नी को घर से निकाल भी नहीं सकता क्योंकि कानूनन वह जुर्म है,मगर पत्नी द्वारा हो रहा जुर्म कानून को दिखाई नहीं देता।
  औरत घर की इज्जत होती है, इसलिए उसे मर्द को बेइज्जत करने का पूरा हक होता है। पंडित द्वारा बड़े बड़े मंत्र पढ़वाए जातें हैं, सास-ससुर की सेवा से लेकर पति
परमेश्वर की तोतारट कराई जाती है, मगर किसी घर में वह दिखाई नहीं देती है।
 पति को छलने के जो तरिके भारतीय पत्नियां अपनातीं है,वे विश्वभर में बेजोड़ है, भारतीय मर्द के नस-नस से वाकिफ स्त्रियां पति को सिर्फ पति रखतीं हैं, बाकी सब निचोड़ लेती है।सभी रिश्तों से कन्नी कटवाने की कला में पारंगत पत्नीयां  पहला काम यहीं करतीं हैं, अच्छा ससुराल इसी को कहते हैं कि उस घर में ससुर न हो। ननद का कभी-कभार घर आना भी उसे अखरता है,ताने मारकर उसे दोबारा न आने का परोक्ष इशारा होता है।
  एकबार पति को अलग-थलग किया,तो
उसके साथ मनमाफिक सुलुक किया जा सकता है।पति बेचारा घुटने टेक देता है और वटपुर्णिमा को फेरे लेते पत्नी को देखता रहता है।
  पत्नी पीड़ा गुप्त रोग की तरह होती है,सह भी नहीं सकते,कह भी नहीं सकते।
यह पीड़ा ऊंचे ओहदे, ज्ञानी,प्रतिष्ठित पतियों के घर में ज्यादा पायीं जातीं हैं।जिन घरों में खाने के लाले पड़े हैं, वहां पत्नियों में इस ज़ुल्म के लिए फुर्सत नहीं मिलती।
   पत्नियां सताने के तमाम तरीके अपनातीं है,उसकी हजारों मांगें होती है,
ताने मारना तो जैसा उसका धर्म है।घर जल्दी पहुंचों तो शक करतीं हैं और कहतीं हैं," मुझपर शक करतें हो?" वह कुछ जवाब दे तो पहले ही नाराज़ होकर बर्तन पटकती है, अपने आफिस के काम से परेशान पति जब पत्नी के चपेट में आता है,तो दोहरी मार से पीड़ित हो जाता है।
"घर की बात घर में रहें।" की सोच ने घरेलू हिंसा को घर में ही रखा। पत्नियां तो मजे में हैं,पति बेचारे दिनभर काम करके घर की हर जरुरत पूरी करते हैं, और ऊपर से पत्नी द्वारा छल भी सह लेते हैं।
  मरने की धमकी, मायके जाने की धमकी,
जैसे पत्नियों के मिसाईल है, आएं दिन इसका इस्तेमाल होता है।पति को डर रहता है,अमल न करें!
   बच्चे भी पति को सताने में सहायक होते हैं, उन्हें भूखा रखो, उन्हें मारपीट करों या पति के खिलाफ भड़का दो । चूंकि बच्चे मां ने जने है, इसलिए आंखें मूंदकर उसीका पक्ष लेते हैं।पति बेचारा बच्चों से पीड़ा पाता है।
  पत्नी मां बाप को छोड़कर आतीं हैं,तो पति को भी मां-बाप से छुड़वाती है।भाई को छोड़कर आतीं हैं, इसलिए देवर को घर नहीं आने देती।
पत्नी की पीड़ा झेल रहे तमाम पतियों को 
सहानुभूति के तौर पर लिखा है,अपना कोई अनुभव लिखने की हिम्मत हो तो जरूर लिखियेगा।
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