- ना.रा.खराद
सड़क पर एक हुजूम देखा,'हमारी मांगे पूरी करों।' के नारे लगा रहा था। जिज्ञासा से मैं करीब गया। वहां एक भिक्षूक आया और भीड़ के लोगों से दान मांगने लगा। किसीने उसे दो रुपए दिए,वह वहां से चला गया।
थोड़े समय बाद उस भीड़ की वेतन बढ़ानेकी मांग को मान लिया गया तो नारेबाजी थमीऔर उस मालिक के नाम का जयघोष होने लगा।
मांग से हमारा जीवन व्याप्त है।हरतरफ, हरकोई कुछ मांग रहा है। कोई किसीका हाथ मांग रहा है इसलिए तो मंगेतर कहते हैं। कोईआजादी मांग रहा है। कोई पदोन्नति मांग रहा है। किसीको रिहाई चाहिए तो कोई रिश्वत मांग
रहा है। नेता वोट मांग रहे हैं।पत्नी साड़ी मांगती है, बच्चे खिलौने मांगते हैं। अधिकारी काम मांगते हैं। आशिक प्यार मांगते हैं।पुजारी दान मांगता है। समाजसेवक चंदा मांगते हैं। मजदूर बोनस मांगते हैं। नेता टिकट वोट हैं। कलाकार तालियां मांगते है।वक्ता प्रशंसा मांगता है।
कोई नामांतर मांगता है। कोई आरक्षण मांगताहैं। कोई आशिर्वाद मांगता है। घरों में मांग है। सड़क पर मांग है।संसद में मांग है। मंदिरों में मांग है।हरतरफ मांगे ही मांगे हैं। कोई जीवन तो कोई मौत भी मांग रहा है।