-ना.रा.खराद
पैसा, जिसके पिछे दुनिया पागल।
जिनके पास है,वे होने से पागल,
जिनके पास नहीं,न होने से पागल।
पैसों के आगे दुनिया नाचती हैं,
पैसों के पिछे दुनिया भागती है।
सबको और सबसे प्रिय चीज पैसा।
पैसों पर मिटता है इन्सान,
पैसों के लिए मिटाता है इन्सान।
पैसों का राज है, पैसों से राज है।
पैसों से दुआ सलाम है।
पैसों से इज्जत,उसीसे बेइज्जत।
पैसों से इमान बिकता है,
पैसों से इमान खरीदा जाता है।
काला हो या सफेद पैसों का जादू एक सा।
ज्ञानी हो या साधू, पैसों से अछूते नहीं।
भक्त भोग लगाते पैसा।
पैसों से खड़े होते मिनार,
पैसों से गिरते परबत।
पैसों से किराए से मिलते पहलवान।
पैसों से दौड़ते सब।
पैसों के आगे फीके सारे पकवान।
पैसों से बिगड़ते और बनते काम।
मालिक हो या नौकर, सब कमाते पैसा।
सबका मालिक है पैसा।
अगर पैसा न होता।
बिगड़ता खेल सारा।
जिसकी लाठी उसकी भैंस न होती।
न होती अदालतें,न इन्साफ होता।
कोई भी किसी का गला घोंटता।
सरेआम कत्ल करता।
न होती पुलिस,न थानेदार होता।
जेल में कैद कोई न होता।
जिंदा मगर कौन रह पाता।
बड़ी मछली छोटी को खा जाती।
दया धरम कुछ न होता।
होती डाकूओं की टोलीयां
कोई शरीफ न होता।
नर नारी ऐसा कुछ न होता।
होता जो बलशाली वहीं यहां जिंदा होता।
किसी से कुछ लेना देना न होता।
रिश्ते-नातों का चलन होता।
कोई किसीके वास्ते कभी न रोता।
पैसों से है,छोटा बड़ा ।
फिर कोई साहब या सेठ न होता।
फिर ताकतवरों का रोब होता,
कमजोरों का हनन होता।