तारीख पे तारीख

                                          तारीख पे तारीख 
                                                           - ना.रा.खराद
 दीवार पर टंगा कैंलेंडर मैं अक्सर देखता रहता हूं, उसपर लिखें आंकड़े मेरे जीवन का संचालन करते हैं, जैसे मैं उन आंकड़ों की गुलामी कर रहा हूं, उनके हुक्म से मैं अपनी दिनचर्या बनाता हूं।
न जाने तारीखें कैसे ईजाद हुई और किसने की , मगर इसके मकड़जाल में इन्सान फंसता चला गया और अब कभी बाहर नहीं निकल सकता, क्योंकि अब यह पूरी तरह से और बूरी तरह से लपेटे हुए हैं। इन्सान की जिंदगी जैसे तारीखें निभाने को है, बाकी कुछ नहीं,हर कोई तारीखों में उलझा है।
 जन्मतिथि से लेकर पुण्यतिथि तक इससे हमारा वास्ता हैं, तारीखें याद रखना जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है।किस तारीख को क्या करना है, पहले से तय हैं। मानवजाति का या साहित्य का इतिहास तारीखों से लिखा गया है।उम्र को नापने का मापदंड तारीखें है। शादी ब्याह इसी से तय होते हैं।नौकरी में रिटायर होने की तारीख तय रहती।सारे मुहुर्त तारीखों में होते हैं। अदालत में मुकदमे तारीख पे तारीख में चलते हैं। स्कूल में दाखिला तारीख देखकर होता है,बस का मुफ्त पास तारीखें तय करती हैं।
चुनाव की तारीखें घोषित कर दिए जाती हैं।मौसम विभाग तारीखों में अनुमान बताते हैं। कुछ तारीखें किसी के लिए बड़ी अहम होती हैं, कुछ तारीखें ऐतिहासिक महत्व की होती हैं,एक जनवरी और इकत्तीस दिसंबर तारीखें खास होती हैं।
जन्मतिथि से जन्मकुंडली बनायी जाती है,और ताउम्र चिपकी रहती है। तारीख जीवन का अहम हिस्सा बन गई है।
कुछ तारीखें इतिहास बनी है। स्वतंत्रता की तारीख विशेष मायने रखती है। पहली मुलाकात की तारीख कोई भूलता नहीं।जन्म और मृत्यु के बीच हर तारीख से वास्ता रहता है।
उधार चुकाने की तारीख कोई भूलता है, कोई याद रखता है। अदालतें तो तारीख पे तारीख देती रहती है।
   नौकरीपेशा लोगों के लिए एक तारीख सुखद होती हैं।शादी की सालगिरह गलती की याद दिलाती है। दुनिया में उथलपूथल की तारीखें दर्ज है,हादसों की तारीखें कोई भूलता नहीं।
वैद्य इलाज की तारीखें बताया हैं, दवाओं पर उसके निर्माण और नष्ट होने की तारीख लिखित है। दैनिक अखबार में तारीख लिखी रहती, परीक्षा की तारीखें तय रहती हैं। तारीखों से किसी को छुटकारा नहीं है।
लेनदेन तारीखों को आधार बनाकर होता है,बैंक की कर्ज अदायगी की किश्त तारीखों में होती हैं। प्राकृतिक विपदाओं को तारीखों में कैद किया जाता है। आजादी की तारीख सुनहरे अक्षरों में लिखी जाती है।
समूचा जीवन तारीख पे तारीख है।
      
Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.